Yug Purush

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The Theory... आखिरी भाग

Chapter-4:The Thief


कॉल रिकॉर्डिंग से यह बात साफ हो गई थी कि मधुलिका और देवेंद्र के बीच नाजायज संबंध थे और यही जवाब काफी है उन सारे सवालों के लिए जो मैं मधुलिका से पूछना चाहता था.. जबसे मधुलिका मेरी जिंदगी से गई है तब से मेरा दिमाग मुझे हर वक्त यही कहता रहता है कि मुझे उस दिन देवेंद्र की शादी की सालगिरह पर नहीं जाना चाहिए था. लेकिन मधुलिका तो उस दिन पूरे समय मेरे साथ थी. फिर उसका टाका देवेंद्र से कैसे भिड़ा ? क्योंकि वह दोनों तो उस दिन से पहले दूसरे को जानते तक नहीं थे... याद आया, जब मैं कार से शराब लेने आया था.. तब लावण्या के साथ कार में अपनी वासना की आग बुझाने के  कारण मुझे बहुत देर हो गई थी और जब मैं वापस आया तो.. देवेंद्र और मधु स्विमिंग पूल के पास नहीं थे. मैं शराब के नशे में बहुत धुत था, जिसकी वजह से मैं मैंने स्विमिंग पुल के पास रखें लौंजर चेयर मैं थोड़ी देर के लिए लेट गया था... जिसके बाद मधुलिका ने मुझे उठाया था ...


" वूऊह ... मैं सो गया था शायद…? तुम दोनों कहां थे..?"


"पहले यह बता कि तू कहां था इतनी देर” देवेन्द्र ने मुझसे सवाल किया 


" कार का ट्रंक नहीं खुल रहा था..."


“ मैं मधुलिका भाभी को अपना घर दिखा रहा था… मेरा घर  तेरे घर  जितना तो बड़ा नहीं है, पर… है तो घर ही  "


"अच्छा घर है तेरा... पर वह जो बेसमेंट है. वह दाग की तरह है.. उसे साफ क्यों नहीं करवाता तू.. ना जाने कितने जन्म से बंद पड़ा है... अबे बस कर, पागल है क्या.. इतना हार्ड पेग... थोड़ा और पानी डाल..."


उस दिन यदि मै देवेंद्र के घर नहीं गया होता तो शायद आज मधुलिका मेरे पास होती, क्योंकि यदि मैं ऐसा करता तो ना तो मधुलिका और देवेंद्र के पीछे अफेयर होता और ना ही देवेंद्र, मधुलिका को पैसों के लिए ब्लैकमेल करता और ना ही मधुलिका गायब होती और ना ही मधुलिका के गायब होने के 3 हफ्ते बाद मैं एक बार फिर से पुलिस स्टेशन में होता.. और ना ही इंस्पेक्टर माधुरे एक बार फिर मुझे चाय पीने का प्रस्ताव दे रहा होता....


"चाय लीजिएगा क्या करन साहब....? "मुझे चाय पीने का प्रस्ताव देते हुए माधुरे ने कहा, जिसे मैंने तुरंत खारिज कर दिया


"नहीं, मैंने अब चाय पीना बंद कर दिया है..."


"अरे वाह... स्वास्थ्य जागरूकता... लेकिन चाय पीने में कोनो नुकसान थोड़ी ही है... क्यों द्विवेदी जी..."


" हां साहब... कौनो नुकसान नहीं"


"आपने मुझे यहां क्यों बुलाया है... "सीधे पॉइंट पर आते हुए मैंने पूछा


" देखा करण साहब .. आप खामखा चाय से नफरत कर रहे है… खैर… एक बंदा हमारे हाथ लगा है, लेकिन मैं उसे आपको मिलवाऊ.. उसके पहले जरा चाय शाय हो जाए.. आधे घंटे हो गए, मुझे चाय पिए हुए.. द्विवेदी जी, एक कप चाय भिजवाना तो..."


माधुरे पूरे 5 मिनट तक चाय की चुस्कियां मारते हुए मुझे उकसाता रहा कि मैं भी चाय पीने के लिए कह दू , लेकिन जब मैंने ऐसा नहीं किया तो कप नीचे रखकर रुमाल से अपना मुंह साफ करने के बाद माधुरे  मुझसे बोला


"भाई मजा आ गया... करन जी, एक फिल्म आई थी एक डेढ़ साल पहले.. उसका नाम था..गुड्डू की गन.. मतलब क्या कमाल कि गन थी उस गुड्डू के पास. उसी तरह अपने गुड्डू की चाय है, साला क्या बनाता है... कितना भी पियो मन ही नहीं भरता... खैर छोड़िए.. आप भी किन बातों में पड़ जाते हो.. मेरे साथ चलिए..."



माधुरे ने अंदर एक लॉकअप में 25-26 साल के एक लड़के को बंद करके रखा हुआ था जिसे दो तीन पुलिसवाले बुरी तरह पीट रहे थे. माधुरे ने उन  पुलिस वालों को रुकने  के लिए कहा और फिर अंदर जाकर उस लड़के के सर का बाल पकड़कर खीचते हुए  बोला..


"करन साहब... इनका नाम है फुदुर ... है ना चुतिया नाम. पर यह अपने नाम से भी ज्यादा चुतिया है... इन महाशय को चोरी करने में बहुत मजा आता है.... बाल पकड़कर उसे ऊपर उठाते हुए माधुरे बोला... साले ने पूरे एरिया में आतंक मचा रखा है जब देखो तब किसी का मोबाइल पेल देता है तो किसी का पर्स...."


" मधुलिका का इससे... इस फुदुर .. जो भी इसका नाम है... इससे क्या लेना देना...?"


" लेना देना है ना... हम लोग मधुलिका जी का मोबाइल, IMEI नंबर शुरू से ट्रेस कर रहे थे. शुरु शुरु में तो हमें कोई सफलता नहीं मिलेगी लेकिन कुछ दिन पहले मधुलिका जी के मोबाइल को किसी दूसरी सिम से ऑन किया गया और तब जाकर यह फुदुर हमारे हाथ लगा..."


"मधुलिका का मोबाइल इसके पास मिला है ?"


" और नहीं तो क्या... और मजे की बात यह है कि यह हरामखोर देवेंद्र सक्सेना का नौकर है..." फुदुर को एक थप्पड़ मारते हुए माधुरे ने कहा. माधुरे के एक थप्पड़ में इतना दम था कि फुदुर   वही नीचे जमीन पर लोट गया और माधुरे का पैर पकड़ कर रोने लगा.. लेकिन माधुरे नहीं रुका और उसे कुत्तों की तरह पीटता रहा ...


" साला, माआअदददररर*****.. हरामखोर... बोलता है कि मोबाइल गिरा हुआ पाया था... हरामी कही का.. द्विवेदी जी, पानी से नहलाओ इसे और मेरा डंडा दो मुझे, अभी इससे सच उगलवाता हु...."


मैं वहां से बाहर आ गया लेकिन उस लड़के  की चीख  मुझे लगातार सुनाई दे रही थी , जो कि बहुत  देर तक मुझे  सुनाई देती रही  और फिर जब वह चीखे शांत हुई तो पसीने से तरबतर अपना माथा पोछते  हुए माधुरे लॉकअप से निकलकर बाहर मेरी तरफ आया....


"साला चोर कहीं का…” मेरे बगल में बैठकर माधुरे बड़बडाया


"मधुलिका के बारे में कुछ पता चला.."


"बोलता है कि इसे यह मोबाइल देवेंद्र ने दिया था... और बोला था कि वो इसे  ठिकाने लगा दे. लेकिन इस चूतिये ने मोबाइल की सिम तो फेंक दी लेकिन कुछ हफ्तों बाद नई सिम से मोबाइल ऑन कर लिया... पुलिस वालों को चुतिया समझ रखा है, इन सड़क छाप चोरों ने..". बोलते हुए माधुरे रुका.. और लंबी लंबी सांस लेने लगा और थोड़ी देर सुस्ताने के बाद वापस बोलना शुरू किया...


"देवेंद्र ने इसे मोबाइल के साथ ₹30000 भी दिए थे और इससे कहा था कि उसने यहां जो कुछ भी देखा है वह किसी को ना बताएं..."


" जो देखा है मतलब..? क्या देखा है ? उसने वहां.. क्या देखा था..? " किसी अनहोनी की आशंका से घबराते हुए मैंने माधुरे से पूछा..


" यह बोलता है कि जब वह दोपहर में देवेंद्र के यहां काम करने गया तो देवेंद्र अपने घर के पीछे वाले हिस्से में  सफाई कर रहा था.. और पूरे फ्लोर में खून था. देवेंद्र उसे देखकर शुरू में तो घबरा गया लेकिन फिर उसने मामला संभाला और फुदुर   को मधुलिका जी के मोबाइल के साथ ₹30000 दिए. आप साथ चलो, देवेंद्र के घर की तलाशी लेनी है.. पर उसके पहले एक चाय.. गुड्डू की चाय... द्विवेदी जी, ऑर्डर पेलो तो एक चाय का...."



Chapter-5: The Basement


पुलिस की एक पूरी टीम माधुरे  के साथ देवेंद्र के बंगले पर पहुंची और उनके पीछे पीछे मैं भी कार से वहां पहुंचा. माधुरे ने  मार खा- खा कर अधमरे हो चुके फुदुर को  बाल पकड़ कर पुलिस जीप से उतारा और उसे उस जगह चलने के लिए कहा जहां बेसमेंट था. इस दौरान मैंने लावन्या को भी इन्फॉर्म कर दिया था और वह भी वहां पहुंच गई थी. फुदुर   लंगड़ाते हुए, स्विमिंग पूल से होते हुए उस कमरे में पहुंचा जहां नीचे बेसमेंट बना हुआ था. बेसमेंट के दरवाजे पर कोई ताला नहीं लगा था और ना ही वह बाहर से बंद था.. वह तो सिर्फ ढका हुआ था और जैसे ही पुलिस वालों ने बेसमेंट का दरवाजा खोला एक बहुत तेज दुर्गंध पूरे वातावरण में फैल गई. वह दुर्गंध इतनी भयानक थी कि लावन्या वही उल्टी करने लगी... जिसे फिर कुछ पुलिस वाले वहां से दूर ले गए. पुलिस वाले मास्क लगाकर आगे बढ़े. इतनी तेज बदबू के कारण मेरी हिम्मत नहीं हुई कि मैं अंदर जाऊं और वैसे भी मुझे अब अंदाजा हो चला था कि अंदर क्या होगा और किस हालत में होगा.. इसलिए मैं ऊपर ही रहा और ऊपर ही रहता यदि मुझे माधुरे आवाज देकर मुझे  नीचे आने के लिए ना कहा होता तो....



मैं अपने मुंह और नाक को रुमाल से ढक कर धीरे-धीरे सीढ़ियों के रास्ते बेसमेंट के अंदर गया वह बेसमेंट जितना बुरा था वहां का दृश्य उससे भी ज्यादा बुरा था. जमीन पर एक कोने में एक औरत की लाश थी. जिसके कपड़े मधुलिका के कपड़े जैसे थे... और उसके पास में उसका पर्स खुला हुआ पड़ा था... जिससे स्टेट बैंक की चेक बुक मुझे साफ दिख रही थी. मैं धीरे-धीरे उसकी तरफ बढ़ा, मधुलिका की गोरी त्वचा पूरी तरह नीली.. या कहे की काली पड़ चुकी थी. उसका मुंह हल्का खुला हुआ था और सर पर बहुत भयानक निशान थे.. जैसे किसी ने बहुत भारी चीज से उसके सिर  पर हमला किया हो और मैं जानता था कि यह किसने किया है. मधुलिका की यह हालत देखकर मैं वही उसके पास बेजुबान सा होकर बैठ गया


"दूसरी बॉडी ऊपर से उतारो... और एंबुलेंस को कॉल करो और साथ में  आस पास कोई चाय की दुकान हो तो उसे चाय लेकर आने के लिए कहो…” इंस्पेक्टर माधुरे के यह शब्द जैसे ही  मेरे कानों में पड़े मेरा दिमाग जो सुन पाया.. जो समझ पाया, वह था...


" दूसरी बॉडी...?"


मैं पीछे पलटा और बेसमेंट के दूसरे हिस्से की तरफ देखा.. जहां माधुरे मास्क लगाए दो हवलदार के साथ खड़ा था. मैंने देखा कि वहां बेसमेंट की छत में लगे एक हुक से देवेंद्र की बॉडी लटकी हुई थी. और उसका पूरा शरीर भी मधुलिका के शरीर की तरह नीला पड़ चुका था. यहां तक कि उसके दांतो के बीच फंसी उसकी जीभ भी.


दोनों डेड बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. मैं और लावन्या बाहर गार्डन में खड़े होकर उस एंबुलेंस को जाता  हुआ देख रहे थे कि तभी माधुरे हमारे पास आया और मुझसे बोला...


"करन साहब, आपके पुणे जाने के बाद मधुलिका जी, देवेंद्र जी के पास आई होंगी. उनके पास में आप दोनों के ज्वाइंट अकाउंट का चेक बुक और पासबुक था. हालाँकि  कि वो  दोनों यहां से बैंक जाने वाले थे. लेकिन फिर किसी बात को लेकर उनके बीच झड़प हुई होगी और देवेंद्र ने मधुलिका का खून कर दिया. उसने मधुलिका की बॉडी बेसमेंट में छुपाई और जहां पर मारपीट हुई थी वहां की सफाई करते वक्त फुदुर   वहां आ पहुंचा. जिसे देवेंद्र ने आनन-फानन में मधुलिका का मोबाइल और ₹30000 देकर वहां से भेज दिया और फिर मधुलिका की बॉडी बेसमेंट में छुपाई और वही खुद को फांसी लगा ली... देवेंद्र की बॉडी में संघर्ष के फिलहाल तो कोई निशान नहीं मिले.. यानी उसने  फांसी खुद लगाई थी. बाकी उनके किस बात पर बहस हुई और उनकी लड़ाई कैसे इतनी सीरियस हो गई यह शायद हमें कभी पता ना चले... मेरा तो यही मानना है, आपके दिल में कुछ और हो तो बोल दीजिए उसकी भी जांच कर लेंगे..."


"प्लीज, जाइए आप यहां से..."


"ओके, करन साहब... चलता हूं... द्विवेदी जी, वह चाय वाला कहां है.. अभी तक चाय नहीं लाया"


Chapter -6 : THE KILLER


पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह आया कि मधुलिका और देवेंद्र ने शराब पी रखी थी जिसके बाद इंस्पेक्टर माधुरे की मधुलिका और देवेंद्र के बीच हुई लड़ाई वाली परिकल्पना एकदम फिट बैठ गई की बैंक जाने से पहले दोनों ने शराब पी और फिर किसी बात पर दोनों की बहस ने सीरियस मोड़ ले लिया, जिसका नतीजा मधुलिका के मर्डर और देवेंद्र के सुसाइड के रूप में सामने आया. पर मेरी मानो तो.. इंस्पेक्टर माधुरे कि यह थ्योरी गलत थी और मैं ऐसा कह सकता हूं क्योंकि मेरे पास एक दूसरी थ्योरी है और जो सच भी है....


THE BLACK SWAN THEORY (Combination of unexpected events, impact and explainable ending)


मुझे मधुलिका और देवेंद्र के अफेयर के बारे में पुलिस स्टेशन में  इंस्पेक्टर माधुरे के बताने से पहले ही मालूम था . मेरे घर के टेलीफोन में दोनों के बीच हुई बातचीत से.. यूं तो वह दोनों आपस में बात कर रहे थे और जब वो दोनों बात कर रहे थे तब मैं घर में रहता भी नहीं था पर उन दोनों को यह नहीं पता था कि मेरे घर के टेलीफोन से होने वाली हर बातचीत में रिकॉर्ड करता हूं...


एसबीआई बैंक का ब्रांच मैनेजर या फिर कहे की  मेरा बहुत अच्छा दोस्त.. अजय.. जो की शुरुआत में मेरे कहने पर मेरे घर मधुलिका को ढूंढने गया था.. उसने मुझे वह तारीख बताई, जिस दिन मधुलिका बैंक से बहुत ज्यादा  कैश  निकालने वाली थी और मैंने उसी दिन दोपहर 1:00 बजे पुणे के लिए फ्लाइट बुक की. लेकिन मैं घर से 10:00 बजे ही निकल गया और सीधे  देवेंद्र के घर पहुंचा….


बेशुमार कर्ज में डूबा मेरा दोस्त देवेंद्र, जिसे मैंने 50 लाख देने का वादा किया और फिर इसी ख़ुशी में  उसे बेहिसाब शराब पिलाया. जिसके बाद मुझे उसे बेसमेंट में ले जाकर बेसमेंट की छत से लटकाने में कोई खास दिक्कत नहीं हुई और फिर मैंने इंतजार किया अगले 1 घंटे तक अपनी जान से प्यारी बीवी का... जिसकी मैं जान लेने वाला था. मुझे अभी भी  याद है की कैसे वह मुझे देवेंद्र के घर में देखकर बुरी तरह चौक गई थी. उसने वहां से भागने की भी कोशिश की... लेकिन मैंने उसे पकड़कर शराब की बोतल जबरदस्ती उसके मुंह मे ठेली और फिर उसका सर फ्लोर से पटक पटक कर उसे मार दिया....


लालच और गरीबी से मार खाया हुआ देवेंद्र का नौकर, फुदुर  ... जो उस वक्त वहां आ जाता है जब मैं फ्लोर से मधुलिका का खून साफ कर रहा होता हूं. उसे लालच देना 20 लाख का, जिसके बदले में उसे चोरी के इल्जाम में  सिर्फ दो-तीन साल जेल की हवा खानी थी... जो ना तो उसके लिए बुरा सौदा था और ना ही मेरे लिए. मैंने उसे वह कहानी बताई जो उसे पुलिस के सामने बतानी थी. और फिर सिम निकाल कर मधुलिका का मोबाइल उसे दे दिया, यह बोलकर कि वह इसे 3 हफ्ते बाद चालू करें. इसके बाद मैं 12:00 बजे तक एयरपोर्ट पहुंचा और फ्लाइट पकड़कर पुणे रवाना हो गया.. जहां से मैंने मधुलिका को दो-तीन कॉल किए और फिर 3 दिन बाद आकर पुलिस में  रिपोर्ट दर्ज कराई कि मेरी जान से प्यारी बीवी मधुलिका गुमशुदा है......

.

पर मेरी यह चालाकी, मेरी यह बेरहमी.. बात को बदल नहीं सकती कि मुझे मधुलिका के  मरने का बहुत अफसोस है. मैं उसे मारना नहीं चाहता था. पर मैं उसे खोना भी नहीं चाहता था और ना ही डिवोर्स के बाद जी जान से कमाए हुए अपने रुपयों को. यह सब कुछ THE BLACK SWAN THEORY के अंदर हुआ था. जिसमें मधुलिका का गुम हो जाना, outside expectation था. फुदुर   का पकड़े जाना और उसकी झूठी कहानी ने इसे powerful impact दिया और फिर बेसमेंट के दृश्य ने इसे unexpected but explainable ending के साथ खत्म कर दिया था.


मैंने अपना मोबाइल उठाया और लावन्या को आज रात डिनर के लिए बुलाया. जिसे लावन्या ने स्वीकार कर लिया. अब वह  आखिरी ऐसी शख्स थी. जो मुझे परेशानी में डाल सकती थी… यदि माधुरे को मेरे और उसके अफेयर के बारे में भनक भी लगी तो सारा गेम उल्टा पड़ सकता था  और इसीलिए आज रात को डिनर के बाद मैं लावन्या डार्लिंग को भी  ठिकाने लगाने वाला था… 


“करन ….. करन …”डोरबेल ख़राब होने के कारण लावन्या दरवाजे पर मेरा नाम लेकर दस्तक दी ….


“कौन…?”


“अरे मैं हूँ … लावन्या . और कौन होगा .. आज मैंने तुम्हारे फेवरेट कलर के अन्तरंग वस्त्र पहने है… जल्दी आओ …”


“बस…. अभी … आया …..”टेबल से चाक़ू उठा कर हाथ पर फिराते हुए मैंने उसकी धार चेक की और जब मुझे लगा की लावण्या का काम ये तमाम कर देगा तो मैं चाक़ू लेकर  दरवाजे की तरफ बढ़ा ………………



*********T H E   E N D*********


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3 Comments

Sana khan

27-Aug-2021 12:43 PM

Waah

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🤫

19-Aug-2021 11:54 AM

इंटरेस्टिंग स्टोरी... क्राइम कर लिया,सजा भी नही मिली,आजाद परिंदा...

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Yug Purush

19-Aug-2021 12:11 PM

aur ek crime aur karne jaa raha hai...

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